आग से राख टाटा के सपने,, कहानी दर्द,, कहानी गोपाल की


वैसे तो आप अगर अपने विकराल रूप पर आ जाए तो सब कुछ बर्बाद कर देती है। लेकिन वह खुद नहीं करती किसी न किसी कारण से या किसी की लापरवाही से वह अपने विकराल रूप को धारण करती है। और कईयों की जिंदगियां बर्बाद कर देती है।

ऐसे ही इस आग की लपटों में भी धधक रहे है किसी के सपने,,, आखिर कौन है उसके आंसुओ के जिम्मेदार है। 

"Tata motors" कंपनी,डीलर, सर्विस सेंटर, और वह का स्टाप जिन्होंने एक गरीब ड्राइवर गोपाल राजपूत की एक ना सुनी और आखिर कर वह हो ही गया जिसका अंदेशा यह बदनसीब जता रहा था।

 लेकिन शोरूम और सर्विस सेंटर वालो के कान पर झु तक नहीं रेंगी। आखिर A/c ऑफिसो में बैठने वाला स्टाप और अधिकारी वर्ग कहा इस गरीब ड्राइवर की सुनने वाले थे।

 पूरी कहानी इस प्रकार है।

गुनाह यह था कि 10_15 हजार की प्राइवेट नौकरी करने वाले गोपाल के मन में थोड़ा ज्यादा पैसा कमाने का मन बनाया और अपने सपने को टाटा के साथ जोड़ा। 

फिर उसने अपनी थोड़ी बहुत सेविंग और रिश्तेदारों से उधारी के दम पर टाटा मोटर्स की एक गाड़ी खरीदी अपने रिश्तेदार राहुल सोलंकी के नाम से टाटा की गाडी फाइनेंस करवा ली। और पूरी लगन से उसको चलाने लगा लेकिन कुछ ही दिनों में उसको लगने लगा कि गाड़ी में कुछ टेक्निकल समस्या है। 

जिसकी शिकायत लेकर वह सर्विस सेंटर गया। सर्विस सेंटर वालों ने फौरी तौर पर उस समस्या को ठीक कर दिया। लेकिन वह समस्या बार-बार आने पर वह उसे दिलासा देते रहे। गाड़ी को फौरी तौर पर सर्विस सेंटर वाले ठीक कर देते और गोपाल फिर काम पर निकल जाता।

 हालांकि उसके मन में अंदेसा और डर तो बना ही रहता की गाड़ी कब कहीं जंगल मैं ना खड़ी हो जाए। लेकिन कंपनी वालों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था।

 ऐसा ही हादसा एक बार उसके साथ हुआ उसकी गाड़ी जंगल में रात के समय खराब हो गई वह अकेला फंस चुका था। रात भर उसने जंगल में बिना कुछ खाए पिए काटी। सुबह जैसे तैसे ट्रोल करके गाड़ी को सर्विस सेंटर इंदौर लेकर आया।

लेकिन कंपनी वालों का रवैया वैसे ही लापरवाह की तरह बना रहा और गाड़ी का इंजन बदलने की दिलासा देते रहे। कई कई दिन गाड़ी सर्विस सेंटर पर खड़ी रही। 

गोपाल इस बीच बहुत परेशान हो चुका था क्योंकि करोना का लॉकडाउन वह पहले ही भारी मुसीबतों के साथ झेल चुका था और अब तक तो वह आर्थिक तौर पर भी बहुत कमजोर हो चुका था
क्योंकि फाइनेंस कंपनी की किस्ते तो लगातार चालू थी घर खर्च चालू था किराए के मकान में रहता था उसका भी रेंट चढ़ चुका था और इधर गाड़ी भी नहीं चल रही थी तो पैसा आता तो कहां से आता 

अब तक सभी रिश्तेदारों से वह उधार ले चुका था । इसलिए अब कोई मदद करने को भी तैयार नहीं था। इन्हीं सब उलझनों के बीच वह कही बार उसके मन में आत्महत्या के बारे में भी विचार आ चुका था। यह बात वह अपने कुछ वीडियो में भी कह रहा है। 

लेकिन कंपनी वाले फाइनेंस वाले कहां उसकी सुनने वाले थे। इन सब समस्याओं को झेल कर भी वह यह सोच कर खड़ा हो जाता कि सब ठीक हो जाएगा।

आखिर कई दिनों के लंबे इंतजार के बाद सर्विस सेंटर वालों ने उसको गाड़ी दे ही दी। लेकिन उसके बाद भी गाड़ी आए दिन सर्विस सेंटर पर जाते ही रहे। गाड़ी से उसे कभी संतुष्टि नहीं मिली हर बार वह सर्विस सेंटर वालों को बताता अपनी समस्या और सर्विस सेंटर वाले उसे दिलासा दिला कर फ्री हो जाते हैं। 

लेकिन गाड़ी में कुछ ना कुछ समस्या चलती ही रहती। इस सब में उसका काम का भारी नुकसान हो रहा था। कंपनी के इस व्यवहार से वह काफी दुखी था। लेकिन उसकी मुसीबतें यहीं खत्म होने वाली नहीं थी।

 20 नवंबर की रात को वह भाड़ा छोड़ कर वापस घर लौट रहा था तब ही अचानक उसकी गाड़ी मैं कई से फाल्ट हुआ और चिंगारी ने पलक झपकते ही आग पकड़ ली, गोपाल जैसे तेसे अपनी जान बचाकर गाड़ी से बाहर कुदा और अपनी जान बचा ली 

लेकिन उसके सामने उसकी अरमानों की अर्थी निकल चुकी थी उसकी गाड़ी धू-धू कर जल रही थी। वह असहाय की तरह कुछ नहीं कर पा रहा था। अब उसके सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा है। 

इसमें सबसे ज्यादा दोस वह टाटा कंपनी और डीलर को देता है। क्योंकि गोपाल इनको बार-बार सूचित करता था लेकिन यह लोगों ने गाड़ी पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जिससे एक बड़ा हादसा हो गया। 

किसी के सपने जलकर राख हो गए। यह तो ईश्वर की कृपा रही कि कोई जनहानि नहीं हुई।

 



 

 

 

 

 


गंगवाल फ्लोर फूड्स संगम नगर आटा फैक्ट्री में काम करने वाली 20 वर्षीय युवती की मौत के मामले में संचालक पर केस दर्ज, पुलिस विवेचना में अंततः सत्य की जीत हुई।।

इंदौर/ एरोड्रम पुलिस के अनुसार स्कीम नंबर 51 स्थित आटा फैक्ट्री में काम करने वाली आरती पटेल की मौत के मामले में फैक्ट्री संचालक तेजकुमार गंगवाल और लक्ष्मण कुमावत के विरुद्ध केस दर्ज किया गया है।  पुलिस ने जांच में पाया कि फैक्ट्री संचालक ने बिना कोई ट्रेनिंग दिए व बिना सुरक्षा संसाधनों के मशीन पर बिठा दिया। जिस वजह से महिला कर्मचारी आरती पटेल का
 चक्की के पट्टे में दुपट्टा फसा और गर्दन मशीन के एक हिस्से में आ गई। जिससे आरती की मौत हो गई। आरती पटेल की उम्र 20 वर्ष थी। और घटना 28 सितंबर की है। पुलिस विवेचना में अंततः सत्य की जीत हुई और आरोपियों पर मुकदमा दर्ज किया गया।10/db

मां शक्ति के उपासना पर्व पर नारी शक्ति का अपमान,,,

नारी प्रधान इस देश की यह कैसी विडंबना है।


जहां एक ओर नारी सम्मान के प्रतीक नवरात्रि माता के जगराते चल रहे हैं। मां जगदंबा की आराधना में पूरा देश लीन है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता के इस महापर्व में देश के प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी भी मां शक्ति की उपासना में लीन है। 


इसी देश का एक काला स्याहा चेहरा भी इसी पर्व के दौरान देखने को मिला है, जहां मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ  चुनावी सभा के मंच से महिला को "आइटम" कहकर संबोधित करते  हैं।


और सभा में शामिल लोग यहां तक कि एक पूर्व महिला मंत्री भी जोर-जोर से ठहाके लगाते हैं। हालाकि उनका हाव भाव बता रहा था की कमलनाथ द्वारा  महिला को "आइटम" कहने वाली  टिप्पणी से वह भी लज्जित है शर्मसार है। लेकिन मामला पार्टी के मुखिया का है। इसलिए महिला अपमान पर एक महिला भी अपमान का घुट पीकर चुप रह गई। लेकिन कमलनाथ जैसे वरिष्ठ नेता को ऐसी अशोभनीय टिप्पणी से बचना चाहिए था।
सोचने वाली बात तो यह भी है, कैसी घटिया सोच भरी मानसिकता है।उस पार्टी की जिसकी मुखिया खुद एक महिला है, आखिर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी यह सब कैसे बर्दाश्त करती होगी।


क्योंकि कांग्रेस पार्टी में उन्हीं के अध्यक्ष काल में पहले भी महिलाओं पर अभद्र टिप्पणियां होती रही है। किसी ने महिलाओं को "टंच माल" कहा तो कोई "आइटम" कह रहा है। और तो और नई खेप भी फूल सिंह बरैया के रूप में महिलाओं की लड्डू से तुलना करते हुए। अभद्र टिप्पणी करते हैं।


लेकिन पार्टी कभी ऐसे नेताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं करती। क्या नारी शक्ति का अपमान कांग्रेस अध्यक्षा के लिए कोई मायने नहीं रखता। उन्हें याद होना चाहिए कि इंदिरा गांधी भी महिला प्रधानमंत्री के तौर पर देश की शान थी। आज उस पार्टी की क्या हालत कर दी गई है।


भरे मंच से महिला के अपमान पर ठहाके लगाए जाते हैं। और कोई भी कांग्रेस पार्टी का नेता आवाज नहीं उठाता। ऐसा लगता है जैसे यह बात उनके लिए बहुत साधारण है।


लेकिन जिस देश की आधी आबादी ही महिला शक्ति हो भला वह हिंदुस्तान महिलाओं का अपमान कैसे सहेगा। वैसे भी हमारे देश में नारी को प्रथम स्थान दिया गया है। हम तो हमारे देश को भी भारत मां कह कर सम्मान देते है, यह मात्र एक नारी का नहीं बल्कि मां भारती का अपमान है।                                                          शौर्य ध्वज....✍🏻


फूल सिंह बरैया का बयान समाज को बाटने वाला. विवादित बयान पर प्रदेश की राजनीति में उबाल, सवर्णों सहित समाज के सभी वर्गो में बरैया को लेकर जबरदस्त आक्रोश है. उपचुनाव की सभी सीटों पर कांग्रेस को बड़े नुकसान का अनुमान, उपचुनाव में कांग्रेस के लिए टेंशन!

हाइलाइट्स:

फूल सिंह बरैया ने स्वर्ण  समाज की महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक अभद्र टिप्पणी की,,,    
फूल सिह बरैया ने सवर्णों के लिए अपमानजनक बयान बाजी की वीडियो वायरल होने पर सवर्णों ने बरैया के खिलाफ खोला मोर्चा,,,

उपचुनाव में कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है सवर्णों का गुस्सा,,,

स्वर्ण समाज में जबरदस्त आक्रोश बरैया और कांग्रेस के खिलाफ पूरा सवर्ण समाज गोलबंद हो रहा है।

शांति प्रिय मध्यप्रदेश में जातीय जहर घोलने का यह प्रयोग. कहीं कांग्रेस को ही ना भारी पड़ जाए।

क्योंकि प्रदेश की शांतिप्रिय जनता ने जातिवाद को हमेशा से नकारा है।  वैसे भी अगर जातिवाद का जहर फैलाकर कांग्रेस चाहे एक सीट पर फायदा उठा ले. 

लेकिन उपचुनाव की बाकी सीटों पर नुकसान होना तय है। प्रदेश इस तरह की गंदगी फैलाने वालों को कभी माफ नहीं करता है। 

फूल सिंह बरैया की राजनीति ही जातिवाद पर टिकी हुई है। लेकिन प्रदेश की जनता ने उनको कभी फलने फूलने का मोका नहीं दिया।  क्योंकि हमारा शांतिप्रिय मध्यप्रदेश हमेशा से जातिवाद के खिलाफ ही रहा है।

इसलिए कई पार्टियां बदलने के बाद भी फूल सिंह बरैया कभी भी प्रदेश में सफल नहीं हो सका l  इस बार फूल सिंह बरैया कांग्रेस की नाव पर सवार है, लेकिन उसकी इन हरकतों से तो ऐसा लगता है, कि वह कांग्रेस की नैया भी डुबो देंगा। वह कहते है ना, हम तो डूबे सनम तुम्हें भी डूबा देंगे। 

 ग्वालियर /फूल सिंह बरैया का बयान समाज को बाटने वाला. विवादित बयान पर प्रदेश की राजनीति में उबाल, सवर्णों सहित समाज के सभी वर्गो में बरैया को लेकर जबरदस्त आक्रोश है. उपचुनाव की सभी सीटों पर कांग्रेस को बड़े नुकसान का अनुमान, उपचुनाव में कांग्रेस के लिए टेंशन!  एमपी में विधानसभा के उपचुनावों से ठीक पहले मांडेर से कांग्रेस उम्मीदवार फूल सिंह बरैया के विवादित बयान के खिलाफ इलाके में गोलबंद हो गया है।

शनिवार को डबरा के अग्रसेन चौराहे पर सवर्ण समुदाय के लोगों ने एकत्रित होकर बरैया के बयान पर विरोध जताया। लोगों ने मुर्दाबाद के नारे लगाते हुआ उनका पुतला जलाया एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की। सवर्ण समुदाय के लोगों ने चेतावनी दी है कि बरैया ने माफी नहीं मांगी तो वे और बड़ा प्रदर्शन करेंगे। 

दरअसल, फूल सिंह बरैया का एक विडीओ सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। वीडियो में वे विवादित बयान देते नजर आ रहे हैं। वीडियो में सभा को संबोधित करते हुए फूल सिंह बरैया कह रहे हैं कि अभी भी वक्त है,

अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को जाग जाना चाहिए वरना सवर्ण देश को हिंदू राष्ट्र बना देंगे।  उन्होंने कहा कि मुसलमानों से भारत छोड़ने की बात करने वाले सवर्णों को पहले खुद देश छोड़ना चाहिए क्योंकि वह मुसलमानों के बाद भारत आए हैं।

उसने यह भी कहा कि अनुसूचित जाति के लोग और मुसलमान एक ही पिता की संतान हैं, चाहे तो डीएनए टेस्ट करा लिया जाए। उन्होंने ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के एक भाषण का उदाहरण देते हुए बताया कि एक बार जब हिंदुओं ने अंग्रेजों से भारत छोड़ने की मांग की तो चर्चिल ने कहा कि अगर भारत के मूल निवासी इस बात की मांग करेंगे तो विचार किया जाएगा। 

उसने लोगों से एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि यदि हम एक हो गए तो वे 15 हैं हम 85। वे मुकाबला नहीं कर पाएंगे। अपने संबोधन में

•उसने सवर्ण समाज की महिलाओं के लिए काफी आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया। उसका महिलाओं पर आपत्तिजनक अभद्र बयान के वायरल होने के बाद सवर्णों ने उसके खिलाफ जबरदस्त गुस्सा ओर आक्रोश है। लोगो ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. और इसका उपचुनाव पर असर पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

स्वर्ण समाज की महिलाओं पर बरेया के आपत्तिजनक बयान से कांग्रेस को उपचुनाव में जबरदस्त नुकसान का अनुमान है। इस बयान के चलते स्वर्ण समाज कांग्रेस से अच्छा खासा नाराज हो चुका है। बरैया और कांग्रेस के खिलाफ पूरा समाज गोलबंद हो रहा है।

 

श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला अदालत पहुंचा, शाही मस्जिद को हटाने की मांग की गई!

मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला भी अदालत पहुंच गया. मथुरा की अदालत में दायर हुए एक सिविल मुकदमे में श्रीकृष्ण मंदिर परिसर की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक मांगा गया है. इसके साथ ही मंदिर स्थल से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की अपील की गई है. जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन के साथ भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री ने कोर्ट में यह सिविल सूट दायर किया है. इस याचिका में जमीन को लेकर 1968 के समझौते को गलत बताया गया है. इस याचिका के माध्यम से कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व मांगा गया है. जिस पर मुगलकाल में कब्जा कर शाही ईदगाह बना दी गई थी. याचिका में इस शाही ईदगाह मस्जिद को भी हटाने की मांग की गई है.  याचिका में कहा गया है कि कटरा केशव देव वही क्षेत्र है, जहाँ राजा कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था और मस्जिद के नीचे ही वो पवित्र स्थल स्थित है। साथ ही मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को ध्वस्त करने के लिए मुग़ल बादशाह औरंगजेब को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें लिखा है कि औरंगजेब कट्टर इस्लामी था और उसने ही सन 1669-70 में इस मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था।


यहां एक मददगार को परेशान किया जाता है! सुन संवेदनहीन तंत्र,,, तेरे कर्तव्य पर तेरा लालच भारी है,,,

संवेदनहीन समाज को तो हम दोष देते हैं! लेकिन इसकी असल वजह से हम अनभिज्ञ रहते हैं। समाज में संवेदनहीनता बढ़ने के पीछे बहुत बड़ा रोल हमारे खोखले तंत्र (सिस्टम) का होता है। जो संवेदनाओं को हतोत्साहित, और संवेदनहीनता को प्रोत्साहित करता है। उसी का एक छोटा सा उदाहरण है, हमारी कहानी के हीरो रेहड़ी पटरी वाले चिंटू की कहानी,,, 


कहानी एक रेहड़ी पटरी वाले चिंटू की,,,


यह किस्सा है, एक मददगार को ही परेशान किए जाने का और अपने कर्तव्य से विमुख संवेदनहीन तंत्र के लालच का,,, 


इंदौर/मंगलवार 15 सितंबर, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के बाहर रोड किनारे रेडी पटरी की दुकान लगाने वाले शक्स चिंटू राठौड़ रोज की भांति वह अपनी दुकान लगाए बैठा था। दोपहर के बाद का समय हो रहा था। ग्राहक की आस में चिंटू रोड की ओर देख रहा था। तभी वह क्या देखता है, कि दो लड़के बिना नंबर वाली गाड़ी से एक पैदल चल रहे गरीब राहगीर का मोबाइल छीन कर भाग रहे।


कोई कुछ समझ पाता है! उससे पहले आनन फानन में चिंटू ने अपनी दुकान की परवाह करे बगैर अपनी बाइक उन लुटेरों के पीछे लगा दी। अब मोबाइल लुटेरे बड़ी तेजी से आगे आगे भाग रहे थे। चिंटू उनका पीछा कर रहा था। लुटेरों ने आईटी पार्क चौराहे से बाय पास की तरफ अपनी गाड़ी दौड़ा दी। चिंटू भी तेजी से उनके पीछे लगा हुआ था।


लुटेरे पालदा  चौराहा पार कर मुसाखेड़ी की तरफ तेजी से बड़ रहे थे! चिंटू भी बड़ी तेजी से उनके करीब  पहुंचने की कोशिश कर रहा था। मानो वह लुटेरों के इतना पास पहुंच चुका था। कि बस अब वह उन्हें पकड़ने ही वाला था। जैसे ही उसने लुटेरों को ललकार लुटेरों ने गाड़ी और तेज दौड़ा दी चिंटू भी पीछे था,उसकी पकड़ से लुटेरे अब बस कुछ ही दूरी पर थे। कि तब ही अचानक कहानी में क्लाइमैक्स आ जाता है!


हुआ यूं की मूसाखेड़ी पर चेकिंग चल रही थी। लेकिन लुटेरे तो भाग जाते हैं. और चिंटू को रोक लिया जाता है. अचानक मुसाखेड़ी चौराहे पर पुलिस वालों ने चिंटू की गाड़ी रोक ली और अपने पुलिसिया अंदाज में कागज पेपर की बात करने लगे, चिंटू उनसे कह रहा था. कि कागज पेपर में दिखा दूंगा पहले आप उन लुटेरों को पकड़ो यह किसी राह चलते गरीब का मोबाइल छीनकर भागे हुए है।में इनका पीछा कर रहा था। 


लेकिन कर्तव्य से विमुख संवेदनहीन पुलिस वाले लुटेरों को पकड़ना तो दूर उल्टा चिंटू से ही पुलिसया अंदाज में बात करते हुए कागज पेपर मांगते रहे।


चिंटू उनसे बार-बार कहता रहा। की साहब मैं तो किसी की मदद ही कर रहा था।आप मुझे परेशान करने की बजाय वह काम कीजिए जो आपको करना चाहिए। लुटेरों को पकड़िए वरना ऐसे में कोई किसी की मदद भला कैसे करेगा। मैंने अपनी दुकान की परवाह करे बगैर अचानक इन लुटेरों के पीछे दौड़ लगाई है। क्योंकि यह लुटेरे किसी पैदल चलते गरीब राहगीर का मोबाइल छीनकर भागे है। आप उनको पकड़ने की बजाय मेरे पेपर के पीछे पड़े हो जो की दुकान पर है।  


लेकिन साहब के पुलिसिया अंदाज को कोई फर्क नहीं पड़ा। सुनने में तो यह भी आया की चेकिंग पॉइंट पर कोई  2 स्टार वाले साहब भी बैठे हुए थे। 


लेकिन रोड पर रेडी पटरी का काम करने वाला चिंटू भला बड़े साहब से शिकायत करने की हिम्मत कहां से जुटा पाता।  लेकिन जिन पुलिस वालों से वह यह सारी बात कर रहा था। क्या उनकी संवेदनाएं बिल्कुल ही मर चुकी थी। या लालच ने उनको अंधा कर दिया था। 


यह सोचने का विषय है! 


थक हार कर चिंटू भी चढ़ावा कर चलता बना। कितना खोखला और कमजोर है हमारा तंत्र यह उसकी एक बानगी थी। जहां मदद करने वाले का प्रोत्साहन करने की बजाय उसे ही  प्रताड़ित किया जाता है।  चिंटू अब मनमसूक कर अपनी दुकान आ चुका था। लुटेरे भाग चुके थे, और पीड़ित के भी कोई पते नहीं थे। आसपास वालों ने उसकी दुकान का ध्यान रख लिया था। लेकिन मन ही मन चिंटू खोखले तंत्र की निर्बलता और संवेदनहीनता पर अपने आप को कोस रहा था। तरह तरह की भावनाए उसके मन में उछाल मार रही थी। खैर इस कहानी का अंत यही था। जैसा कि चिंटू और प्रत्यक्षदर्शिय ने बताया.... 


अब हमारी कहानी के हीरो चिंटू के विचारों को भटकाया जरूर जा सकता है। दस ज्ञान दिए जा सकते हैं। लेकिन सत्य को बदला नहीं जा सकता...शौर्य ध्वज....✍️


कमलनाथ , दिग्विजय सिंह है गद्दार,,, हमारे 20 योद्धाओं को जो गद्दार कहे , असल गद्दार वो है : सिंधिया,,,

उपचुनाव की हलचल : भांडेर में 164 करोड़ के विकास कार्यों का लोकार्पण - शिलान्यास


भांडेर / दतिया हमारे 20 योद्धाओं को जो गद्दार कहे , गद्दार वो है । गद्दार कमलनाथ , दिग्विजय सिंह हैं । इन्होंने वादा करने के बाद भी किसानों का कर्ज माफ नहीं किया , बेरोजगारों को भत्ता नहीं दिया , गरीब कन्याओं को विवाह की राशि नहीं दी । जो सरकार जनविरोधी नीतियों पर चलेगी ,  भ्रष्टाचार करेगी , उस सरकार को ज्योतिरादित्य सिंधिया नीचे लाएगा ।


यह बात रविवार को दिख भांडेर में आयोजित सभा में राज्यसभा सांसद दिय ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कही । इस दौरान जन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान , ज्योतिरादित्य ने कि सिंधिया , गृहमंत्री डॉ . नरोत्तम मिश्रा और पूर्व मिल विधायक रक्षा संतराम सिरौनिया ने 164 करोड़ था , 66 लाख के विकास कार्यों का भूमिपूजन व वह जन मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने प्रदेश के दिया साथ गद्दारी की । जनता को चेहरा सिंधिया का छात्र लोकार्पण किया । दिखाया और मुख्यमंत्री कमलनाथ को बनाया गया।  कमलनाथ ने ग्वालियर चंबल की जनता के पीठ में छुरा घोंप दिया।  कमलनाथ ने विकास के साथ पिचकारी की।  विधायकों से मिलने के लिए उनके पास समय नहीं होता था, लेकिन उद्योगपतियों, ठेकेदार, माफिया से वह अलग कमरे में बात करते हैं।  उन्होंने जनकल्याणकारी योजनाओं का बंद कर दिया।  बुजुर्गों की तीर्थ दर्शन, संबल और छात्रों की लैपटॉप योजना बंद कर दी।


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