अगर हिंदुओं की संख्या कम हुई तो ना भारत रहेगा ना विश्व, क्योंकि हिंदू सर्वकल्याण की भावना रखता,

जनसंख्या असंतुलन की चुनौतियों एवं हमारी भूमिका पर बोले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख - अरुण कुमार
उद्बोधन में श्री कुमार जी ने कहा जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता हेतु 1952 से विचार शुरू हो गया था! 1951 – 2011 को देखते है जहाँ भारत उद्भव मत्पंथ जो 1951 में 87.09% 2011 में 82.6 (हिन्दू); 1951 में जो मुस्लिम 10.45% थे वो  2011 में बढ़कर 14.23% हो गए, 25 राज्य ऐसे है जहां ओसत गति से ज्यादा मुस्लिम एवम ईसाई बढ़ रहे है, जहां 30 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम है वहा बहूत तेज गति से परिवर्तन होना शुरू हो जाते है! घुसपेठ सीमावार्थी प्रदेशो में जन संख्या असंतुलन का सबसे बड़ा कारण है, जिसका जीवंत उदहारण असम और बंगाल है , उन्होंने बताया जनसंख्या परिवर्तन में तीन बड़े कारण है  - जन्म दर में अंतर, घुसपेठ और मतांतरण , श्री अरुण कुमार जी के कहा समाज में जनसंख्या चुनोती के विषय को लेकर बड़े स्तर पर चर्चा की आवश्यकता है , संसार में जहाँ जहाँ संघर्ष चल रहा है वहा जनसंख्या असंतुलन ही मुख्य कारण है, भारत में २५ राज्य ऐसे है जहाँ औसत गति से ज्यादा मुस्लिम और इसाई बढ़ रहे है,उन्होंने बताया सन २००१ के बाद ३ देशो का जन्म हुआ जिसका मुख्य कारण जनसंख्या के चरित्र में परिवर्तन  होना है! इस पृथ्वी पर सभी किसी न किसी निमित हेतु आये है, भारत देश का जन्म भी पूरे विश्व का मार्गदर्शन करने के लिए हुआ है | अगर हिन्दू की संख्या कम हुई तो न भारत रहेगा न विश्व..क्योकि हिन्दू सर्वकल्याण की भावना रखता है । देश मे जो भी बड़ा बदलाव करना है उसके लिए लगातार प्रयास किये जाने चाहिए तभी परिणाम आते है अनुच्छेद 370 हटना, राम मंदिर में सकारात्मक निर्णय आना इसी का परिणाम है।


कार्यक्रम में समाज के हर क्षेत्र से बुद्धिजीवी वर्ग सम्मिलित हुए!


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