आज जहां हम सब लोग करोना काल के लाकडाऊन वाले दौर में समय किसी तरह बिताने में लगे हुए हैं! वही इसी करोना काल में छात्र जीवन अपनी प्रतिभा को निखारने में लगा हुआ है!कहते है ना की प्रतिभा किसी पहचान की मोहताज नहीं होती! सच्ची लगन और कड़ी मेहनत से कुछ भी किया जा सकता है,
गुरुकुल में पड़ने वाले आठवीं क्लास के प्रतिभावान छात्र आदित्य ने ऎसा ही कारनामा कर दिखाया है! छात्र ने घर में पड़े कबाड़ से जुगाड कर बनाई "पैडल सेनेटाइजर मशीन" जिसमें बिना हाथ लगाए सिर्फ पैर से पेडल दबा कर हाथो को सेनेट्राराज किया जा सकते है!छात्र आदित्य को बचपन से ही खिलौनों से जोड़-तोड़ करने की आदत है।
जब भी उसकी मां उसे खिलौने दिलाती है, वह उसकी तकनीकी को जानने के लिए उत्सुक रहता है।
आदित्य ने ऐसे ही खिलौनो की तकनीकी पर काम करते हुए, बना दिया जीवन उपयोगी उपकरण और वह भी दो दिन के समय में उसने पुराने समान पाईप , लकड़ी की पटिए और अन्य सामान की जुगाड कर बना दी, एक ऐसी उपयोगी वस्तु जिसकी आज के दौर में सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वता और उपयोगिता होगी
हम एक ऐसे जानलेवा वाइरस कोविड 19 के दौर में जी रहे हैं , जहां हमें अपने आप से ही अपने जीवन की सुरक्षा करनी होगी!
ऐसे समय में गुरुकुल के छात्र आदित्य ने जुगाड से ही सही लेकिन जीवन रक्षक उपकरण बना कर सभी को एक नई प्रेरणा दी है,आज भी आवश्यकता आविष्कार की जननी है, और जहां चाह है वहा राह भी है! छात्र ने तो अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया! अब जरूरत है तो बस ऐसी प्रतिभाओं को निखारने और संभालने की आदित्य के अध्यापक ,,,,,,,,, ने बताया की पिछले दो दिनों में छात्र ने इस उपकरण को अपने घर पर बनाया है। छात्र में प्रतिभा होने के साथ उसका उत्साह देखने योग्य रहा।
स्कूल में ऐसी प्रतिभा की जरूरत होती है। जिससे दूसरे विद्यार्थी भी सीखकर स्कूल व माता पिता का गौरव बढ़ा सके,
प्रतिभा किसी व्यक्ति अथवा धन संपत्ति की मोहताज नहीं होती, ना ही इसे लेकर उम्र की कोई सीमा होती है।
इसलिए तो छोटी उम्र के बच्चे भी ऐसे कारनामे कर दिखाते हैं। जिन्हें देख कोई भी हैरत में रह जाता है।