आखिर,, इंदौर नगर निगम के कर्मचारियों को गुंडागर्दी का लाइसेंस किसने दिया ,,, निगम की लीगल गुंडा गैंग की बेखौफ गुंडागर्दी,,, नेता व्यस्त, अफसर मस्त, जनता त्रस्त,,,,

 


खबर के बाद सच्चाई का सेंसेक्स जरूर देखें!  


खबर,,,,, शौर्य ध्वज समाचार


कुशवाह नगर के पास दशरथ बाग - ऋषि नगर वाली गली में निगम कर्मियों की बेखौफ गुंडागर्दी,,, 


"जिस प्रकार नाचने गाने वालों हिजड़ों की नजर शादी वाले घरों पर रहती हैं! ताकि नेक के नाम पर मोटी रकम वसूली जाए ठीक उसी प्रकार आजकल नगर निगम की कचरा गाड़ी वालो की नजर भी शादी वाले घरों पर बनी रहती है! हालाकि अभी लाकडाउन की वजह से शादियां सादगी से हो रही है! लेकिन फिर भी कचरा गाड़ी तो कचरा गाड़ी है" 


जिस घर में विवाद हुआ वहां पर भी कुछ दिन पहले ही शादी थी, तो फिर वह कचरा गाड़ी की नजर से कैसे बच सकते थे!


विवाद क्या है ! 



8 जुलाई  सुबह 9.15 बजे विधानसभा क्षेत्र - 1 वार्ड क्रमांक 17 की दशरथ बाग कॉलोनी का है!  यहां के एक मकान पर कचरा गाड़ी वाले बंदे और घर स्वामी के बीच सूखे - गीले कचरे को लेकर विवाद हुआ,


 


और चालान की बात पर , मकान स्वामी से बदतमीजी की गई, ओर वीडियो बनाते हुए कचरा गाड़ी वाला बंदा घर के अन्दर तक घुस गया था! जिसका विरोध घर वालो ने किया, उनका कहना था की घर में बहू बेटियां है , तुम घर के अंदर केसे आ गए!  इस बात पर दोनों में विवाद बड़ा और झुमा  झटकी हुई , 


" वैसे कचरा गाड़ी वाला भी खुद की पिटाई का आरोप लगा रहा है" कचरा गाड़ी वाले वहां से चले गए!


थोड़ी देर बाद टू व्हीलर गाड़ियों से कुछ और लोगों के साथ वापस पलट कर आये, हाथों में पाइप के डंडे थे, मानो जैसे वह किसी को मारने के उद्देश्य आए हो कॉलोनी वालों में पूरी तरह दहशत का माहौल था! लोग घरों से बाहर आ गए थे,


जिनको इन लोगों ने डंडॉ दिखाकर अंदर जाने के लिए कहा और चिल्ला चोट करने लगे,  जैसे कोई गुंडों की गैंग आ जाती है! ठीक उसी तरह दहशत का  माहौल बना दिया था! फिर एक पीली बत्ती गाड़ी सायरन बजाते हुए वहां पहुंचती है!


मकान मालिक तो ठीक आसपास वाले भी खोप में  थे, आपस में कानाफूसी कर रहे थे,की भाई निगम की लीगल गुंडा गेंग के मुंह कोंन लगे अब कोन इनको समझाए की डरा सहमा मकान मालिक तो बेचारा डर के मारे घर छोड़  के भाग चुका था,


कुछ लोगों ने हिम्मत कर के निगम कर्मियों को समझाने की कोशिश की लेकिन वायरलेस हाथ में लिए हटे कट्टे काला चश्मा पहने बाहुबली निगम वालो की बदतमीजी देख वह भी चुप हो गए! 


हालांकि मकान मालिक के भागने की वजह से शायद उसे डंडे मारने का निगम के डंडे धारियों का अरमान तो पूरा नहीं हो पाया,


लेकिन सुना है, घर वालो से चालान के नाम पर अच्छी खासी रकम जरूर वसूली गई है!  शायद घर वालो ने भी सोचा होगा चलो पिंड छुटा, किसे सुनाएं कौन सुनेगा इसलिए चुप रहते हैं!


   "हमारी सलाह" 


क्या स्वच्छता में नंबर - 1 आना ही सब कुछ है,  आम शहरी का मान सम्मान कुछ भी नहीं, जिन कॉलोनियों को वैध करने जिम्मा खुद सरकार ले चुकी हैं!  वहीं निगम का यह बंदा अवैध कॉलोनी के नाम से लोगो को डराता हुआ!


इस खबर को निगम के कर्ताधर्ताओं को स्वसंज्ञान लेना चाहिए और ऐसा दूसाहस करने वाले निगम कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना चाहिए ! ताकि शहर के साथ आम आदमी का सम्मान भी बचा रहे! और नगर निगम व सरकार की छवि भी धूमिल ना हो!


    "सच्चाई का सेंसेक्स"


साधारण शहरी को अपने सिस्टम की ताकत से डराते और दबाते नगर निगम के बाहुबली कहने को तो कर्मचारी है!  लेकिन यह पीली गाड़ियों में चलने वाले किसी दबंग बाहुबली से कम नहीं है!  


शहर की पाश कालोनियों से लेकर गरीब बस्तियों और छोटी कॉलोनी तक में इनकी लीगल दादागिरी अब आम बात हो गई है! 


एक सामान्य कचरे की गाड़ी वाला ही अपने आप में किसी बाहुबली अफसर से कम नहीं हैं!   और अगर कहीं गलती से कोई दुकानदार या मकान मालिक इनका इगों हर्ट कर दे, या सौदा नहीं पट पाए तो फिर क्या कहना सीधे धोस देने पर उतारू हो जाते हैं , कहते है अभी तो हम आए पीली गाड़ी आई तो ज्यादा पैसे देने पड़ जाएगे! अभी तो कम का ही चालान कट रहा है!


बात नहीं बनती देख तुरंत पीली गाड़ी भी आ जाती है!  और उसके अलावा जाने कहा से बाइक- एकटीवा  से भी आ धमकते उनके हाथों में डंडे भी होते हैं!  अगर पहले सौदा पट जाए तो ठीक वरना बाद में तो चालान कि राशि बढ़ती है, और निगम की लीगल गुंडागर्दी का सामना अलग करना पड़ता है!


सबसे पहले आपका सामना होगा एक मोटे तगड़े आदमी से जो काला चश्मा लगाए हाथ में वायरलेस सेट लिए आपके सामने खड़ा होगा, फिर चालान के साथ साथ परिवार, गली मोहल्ले वालों के सामने बेज्जती मुफ्त में,  बेचारा आदमी कहा पड़ना चाहता है इन सब झमेलों में इसलिए शिकायत करने से भी डरता है!  बाइक वाली डंडा गेंग तो सीधे गालियो से ही शुरुआत करती हैं! 


यह धोंस, दादागिरी, गुंडागर्दी, नहीं तो क्या है ! 


भाजपा के शासन में नंबर वन आने के लिए तो सबने बहुत सहयोग किया, लेकिन अब यही नंबर वन की आड़ में निगम के कारनामे आम शहरी पर भारी पड़ने लगे हैं, कहीं यह सरकार पर भारी ना पड़ जाए, क्योंकि हमारे यहां तो हर थोड़े दिन में चुनाव आते ही रहते है!


खबर का वीडियो देखने के लिए यहां दबाएं !👇


https://youtu.be/h8VbcpReVUo


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