अब आएंगे राजनीति के लालची चमगादड़, गुना की घटना पर अपनी रोटियां सकेगे, अपना चेहरा चमकाएगे,,,

अब आएंगे राजनीति के लालची चमगादड़ गुना की घटना पर शोक मनाने,,, 


गिद्ध की नजर जमाए, राजनीति के चमगादड़  अब गुना की घटना में गरीबों के मसीहा बनकर राजनैतिक रोटियां सेंकने आएंगे, जातिवाद का जहर घोलेगे, उच नीच की बात करेंगे अपने दल का नफा नुकसान तोलेंगे फिर उस हिसाब से अपने श्री मुख से कड़वी भाषा बोलेगे,


  कुछ दिन तो गरीब की झोपड़ी किसी तीर्थ से कम नहीं होगी, सबको यही से सत्ता की गली निकलती नजर आएगी, गरीब की झोपड़ी की तरफ चमचमाती कारे ही कारे नजर आएगी,


कुछ दिन के लिए तो यह जगह राजनीतिक पर्यटन का केंद्र बिंदु बन जाएगी, राजनीति महत्वकांक्षा के लालची भेड़िए गरीब की दुर्दशा पर मगरमच्छ के आंसू बहाएगे, उपवास ढोंग रचाया जाएगा, अपने आप को सबसे गरीबों, दलितों का बड़ा सबसे बड़ा मसीहा बताया जाएगा,


हे गरीब तू इनकी शतरंजी चालो की मोह फांस में ना फस जाना, यह तो सिर्फ अपनी रोटी सेकने आए हैं!


अंत में तेरी लड़ाई तुझे ही लड़ना है!


माना की तेरे साथ जो हुआ उसे देख संवेदनाए मर चुकी थी, मानवता शर्मसार थी, भावनाएं आहत थी, शब्द निशब्द थे, विषय गोन था!  संवेदनहीनता अमानवीय, क्रूरता, बर्बरता हावी थी,  लेकिन तेरा स्वाभिमान जिंदा था, तेरा दर्द जिंदा, था, तेरा मर्म में जिंदा था, तू जिंदा है!  अब यह सोचना तो उस समाज को है! जिसमें शासन प्रशासन में बैठा उच्च शिक्षित तबका ही संवेदनहीन हो जाएगा और मानवता को अपने जूतो तले कुचलेगा, तो फिर शिक्षा का मोल क्या रह जाएगा,  बड़ी बड़ी बाते करने वाला सभ्य समाज , चांद पर प्लाट, और मंगल पर जाने के सपने देखने वाला समाज , विश्व गुरु बनने का सपना संजोए समूचे विश्व को शांति का संदेश देने वाला समाज,  राम ,कृष्ण की धरोहर आदर्श और मानवता को  अपना बताने वाला यह समाज किस दिशा में जाएगा!


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