पुलिसिया सिस्टम की मार खाता एक मजबूर गरीब किसान, अपने पति को बचाने के लिए रोती, बिलखती पिटती एक बेबस महिला,, मां बाप को पीटता देख रोते, चिल्लाते छोटे बच्चे,,, ऐसा हृदय विदारक,अमानवीय दृश्य देख कर तुम्हे नींद कैसे आई होगी शिवराज,,,

गरीब पर जुल्म ढाने की बजाय, उसकी बेबसी का निराकरण करना चाहिए,,, माना कि अतिक्रमण हटाना जरूरी है,


लेकिन पुलिस को आमानवीय होने की छूट तो नहीं दी जा सकती है!


मध्य प्रदेश के गुना में किसान दंपती के साथ अतिक्रमण हटाने के नाम पर पुलिस द्वारा की गई बर्बरता पर सियासी माहौल गरमा गया है।  सरकार और विपक्ष की ओर से आरोप - प्रत्यारोप के तीर चल रहे हैं।


यह ठीक है कि मामला तूल पकड़ने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फौरी तौर पर कलेक्टर और एसपी के अलावा ग्वालियर रेंज के आईजी को भी हटा दिया और छह पुलिसकर्मी भी निलंबित कर दिए गए, लेकिन क्या इतना करना ही काफी है? 


बहरहाल , गुना की घटना को दलित पर जुल्म के नजरिए से देखना ठीक नहीं है । वहा बटाई परखेती करने वाला किसी अन्य जाति या वर्ग का गरीब किसान भी हो सकता था ।


यह तो सीधे - सीधे परिस्थितियों के मारे एक गरीब किसान पर संवेदनहीन व्यवस्था के कहर का मामला है।


लात, ठुंसो, डंडों से एक गरीब किसान को पिटती  पुलिस, रोती चिल्लाती बेबस औरत जिसकी कोई सुनने को तैयार नहीं, और अपने मां बाप को पीटता देख रोते, बिलखते छोटे-छोटे मासूम बच्चे, ऐसा हृदय विदारक!अमानवीय दृश्य देख कर भी तुम्हे नींद कैसे आती होगी शिवराज,,,


दिल दहला देने वाली  गुना कि इस घटना से सभी प्रदेश वासी आहत है, क्रोध में है! अंग्रेजों के जमाने की याद दिलाती यह घटना  प्रदेश के माथे पर कलंक है!  क्रूरता की हद पार करती, और सभ्य समाज को चिढाती यह तस्वीरें विचलित करती है!


एक घटना को दूसरी घटना से तोल कर उसकी गंभीरता को कम नहीं किया जा सकता!


  ऊपर से ग्रह मंत्री जी कांग्रेस राज में हुई घटनाओं से इस घटना की तुलना करते हैं! और इसे कम हाकने की कोशिश होती हैं!  लेकिन गृह मंत्री जी यह भूल जाते हैं, की वह घटनाएं अपराधियों द्वारा की गई थी, 


जबकि गुना की यह घटना पुलिसिया सिस्टम के द्वारा की गई हैं! घटना से घटना की तुलना करके जवाबदारी से बचा नहीं जा सकता है!  भाजपा हो या कांग्रेस  सरकार किसी की भी हो लेकिन संवेदनाएं नहीं मरना चाहिए,


  पुलिस वालों का निलंबन इस समस्या का हल नहीं है! कोशिश तो यह होना चाहिए, की ऐसे हालात ही पैदा ना हो,  इसके लिए कठोर कदम उठाते हुए


 ऐसा अमानवीय कृत्य करने वाले सभी पुलिसवालों पर एफ आई आर दर्ज कर केस चलाना चाहिए , ताकि भविष्य में सिस्टम में बैठा कोई भी व्यक्ति मानवता को शर्मसार ना करे, 


यह इसलिए भी जरूरी है,  आगे से किसी गरीब अनपढ़ किसान को कोई पढ़ा लिखा पुलिसवाला अपनी वर्दी के गरूर में उसकी बेबस औरत और मासूम बच्चों के सामने लात जूतों से कुचलने का दुस्साहस ना करें  ,,, और गरीब का भी सम्मान बचा रहे!


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