आईफा से हनुमान चालीसा तक,,,,,,, दो मुख्यमंत्रियों के दो कारनामें,,,, सत्य का तथ्य और खरी गोष्ठी में एक साथ, क्या यही है युवा संवाद...?

सत्य का तथ्य और खरी गोष्ठी साथ में  रे,,,बाबा  


आजकल मध्यप्रदेश में चुनावी लोक लुभावन कार्यों का दौर चल रहा हैं।  वर्तमान मुख्यमंत्री जी को प्रदेश की नौकरियां प्रदेश वासियों को ही मिले इसकी याद 15 वर्ष बाद आई। 


उससे भी मजेदार बात,,,


युवा संवाद न कर पाने की वजह से अपनी सरकार गवा चुके एक बुजुर्ग पूर्वमुख्यमंत्री जी को युवाओं की याद आई। वह युवा संवाद करना चाहते हैं। शायद अपनी पार्टी के युवा से संवाद न कर पाने का दुख आज तक है!
यह बात अलग है, कि उस ऊर्जावान युवा नेता को पार्टी से बाहर का रास्ता भी इन्होंने ही दिखाया है!


चलो बात मुद्दे की करते है।


मध्यप्रदेश के एक 80 साल के बुजुर्ग पूर्व मुख्यमंत्री युवाओं से संवाद करना चाहते है! और करें भी क्यों नहीं काम ही उन्होंने युवाओं वाले करे , याद है ना जैसे आईफा,,,   


खैर,,,  चुनाव क्या-क्या न करवाएं।  लेकिन नेता जी को ठिस तो है, वैसे भी जब असल में युवाओं से बात करना थी, तब तो पता नहीं कौन से रंगीन ख्यालों में खोए हुए थे। 


जिस युवा चेहरे के दम पर चुनाव जीता उसे ही रोड पर आने की चुनौती दे डाली ,  नतीजा यह निकला की पार्टी को एक ऊर्जावान युवा तो खोना ही पड़ा, साथ ही सरकार भी चली गई, बेचारे बुजुर्ग नेता जी न घर के रहे न घाट के  सुना है,, अब फिर हमारे बुजुर्ग नेता जी को युवाओं की याद आई है। 


अब नेताजी को कौन बताए,,,  उम्र के इस पड़ाव में रंगीन ख़यालो में डूबना अच्छी बात नहीं है।  यह आईफा वाईफाई के चक्कर मैं नहीं पढ़ना चाहिए। वैसे भी यह सब युवाओं को ही शोभा देते हैं।  और संवाद युवाओ से क्या अब तो हम उम्र बुजुर्गों से संवाद स्थापित करना चाहिए। अपन तो धर्म-कर्म के कार्य करो। हनुमान चालीसा पढ़ो। यह आइफा वाईफा के चक्कर बेकार है, रे बाबा,, सरकारेे डूब जाती है, रे बाबा,,, समझा ना  रेे नटवर,,,


@dheerendrasingh शौर्य ध्वज समाचार.✍🏻


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