वरिष्ठ कांग्रेसी दिग्विजय सिंह भी राम मंदिर में आस्था जता चुके हैं! पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी 4 अगस्त को हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले हैं, और भी कई नेता लाईन में है, अगर फेहरिस्त बड़ भी जाए तो आश्चर्य न कीजिएगा!
अब इसमें श्रद्धा की मात्रा कितनी है, और राजनीति की मात्रा कितनी है, समझने वाली बात तो यही है! पहली बार खुल कर कांग्रेस के दरबारियों ने माना कि हम भी राम मंदिर के पक्ष में है,,,
अब सवाल यह है की आखिर यह परिवर्तन आया कैसे,,,
सब जानते हैं किस तरह सालो साल लटकाने भटकाने का खेल चलता रहा! किस पार्टी के बड़े-बड़े दरबारी नेता जो पेशे से वकील है! कोर्ट में मंदिर के खिलाफ खड़े रहे!
अंत: तक भी मंदिर निर्माण रुकवाने के लिए जो हाई कोर्ट पहुंच गए! वह साकेत गोखले कौन है और किसके करीबी है , सब जानते है ,,,,
फिर अचानक मप्र कांग्रेस के दरबारी नेता मंदिर के पक्ष में केसे आ गए! लगता है कांग्रेस को अपने खत्म होते जनाधार कि चिंता अब सताने लगी है,
इसलिए तो वह अपने परंपरागत अल्पसंख्यक वोट बैंक की नाराज़गी की परवाह करे बिना पहली बार ईद के मौके पर ही मंदिर के पक्ष में आ गए!
मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव भी इसका मुख्य कारण हो सकता है!
प्रदेश की लगभग दो दर्जन से ज्यादा बहुसंख्यक सीटों के ऊपर चुनाव होना है! जहां बहुसंख्यक वोट निर्णायक मोड़ में रहते हैं! और अभी माहौल पूरा राममय है!
तो ऐसे में राजनीति क्या ना करवाएं,
शायद इसलिए भी की अब लटकाने भटकाने का खेल तो खत्म हो चुका है अब बचा कुचा जनाधार ही बचा लो सो नेताजी को लगा की राम जी की शरण में जाने से शायद कुछ फायदा हो जाए!
लेकिन हां ऐसा कर के वह अपने अल्पसंख्यक वोटो को तो नाराज कर ही चुके है!
और वैसे भी साहब यह पब्लिक है सब जानती है!