हौसलों की उड़ान और बाकी है
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जीवन की सुबह-शाम मे फासला बहुत बाकी है, अभी अरमान और बाकी है, हौसलों की उड़ान और बाकी है, चुरा लो कुछ पल जिन्दगी से,
अपने लिये,कुछ अपनो के लिये, उम्र की फिक्र छोड नादान बन जाओ, जी लो जिन्दगी अपनी खुल कर भी, कभी कभी फिर से बच्चा बन जाओ,
गुजरते वक़्त के इम्तिहान और बाकी है, अभी अरमान और बाकी है, हौसलों की उडान और बाकी है,,,,,
वक़्त मिले तो हो आओ कभी, अपने ही गुज़रे जमाने मे, तंग सी गलियों मे, भोली सी नादानियों मे,
अल्हड सी मस्ती ,बचपन के ठिकानों मे, वो सावन की झडी,वो बारिश का पानी चलो कुछ पल बिताएं ,
फिर कागज की नाव चलाने मे, क्यूँ वक़्त खोते हो , खुद को ही आज़माने मे, उम्मीदों के पंखों मे जान और बाकी है अभी अरमान और बाकी है, हौसलों की उड़ान और बाकी है,,,,!!!!
@ मनोज कान्हे 'शिवांश'