राहत इंदौरी: अपनी शायरीयों की आड़ में जो नफरत का जहर इन शायरों ने फैलाया है,,, सच से आँखें मूद लेने से उससे बचा तो नहीं जा सकता!

आदर्श और वास्तविकता में फर्क होता ही है। मौत के बाद ही मनुष्य का सही मूल्यंकन होता है।  एक थे शायर इकबाल सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा लिखा था।  फिर पाकिस्तान के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई और फिर सारे जहां से अच्छा पाकिस्तान हमारा लिख गये। एक थे राहत कुरेशी जिन्हें सब राहत इंदौरी के नाम से जानते हैं, लेकिन मैं उन्हें इंदौरी लिखना पसंद नहीं करता हूं, क्योंकि इसमें मैं अपने इस खूबसूरत शहर इंदौर की छवि को धूमिल होते देखता हूं!,,,  वैसे राहत भी प्रेम महोब्बत का पैगाम तो देते रहे पर उम्र के अन्तिम मोड़ पर इस्लामिक कट्टरवाद का झंड़ा लेकर खड़े हो गये, देश मे असहिष्णुता उन्हें भी बहुसंख्याको के कारण दिखने लगी। मौत के बाद किसी की बुराई करना हमारी संस्कृति नहीं है। लेकिन मूल्यंकन तो होगा, अपनी शायरियों से नफरत का बीज इन्होंने ही बोया था,,, सच से आँखें मूद लेने से जो जहर इन शायरों ने फैलाया है, उससे बचा तो नहीं जा सकता, शायरी की आड़ में इस्लामिक कट्टरवाद का जहर बांटते रहे राहत,,,


श्री राम चरित्र मानस पर उनकी नफरत को बयां करती शायरी को सुनने के लिए यहां क्लिक करें !


https://twitter.com/InternetYodha/status/1293255289190469634?s=20


कभी रामचरितमानस का मजाक, कभी वाजपेयी के घुटनों पर घटिया सेक्सुअल जोक, कभी गोधरा कांड में जलाकर मारे गए कारसेवकों के बारे में झूठ और कभी CAA के विरोध के नाम पर इस्लामिक आतंक को चाशनी में डूबोकर परोसने की छिछोरी कोशिशों के लिए भी याद किया जाएगा राहत इंदौरी को  फ्रॉड सेकुलर गैंग के हीरो रहे राहत इंदौरी जीवन के आखिरी दिनों में खुलकर जेहादी सोच को दिखाने लगे थे। ओवैसी के मंचो पर चढ़कर जहरीले शेर सुनाना राहत इंदौरी का खास शौक था।  इसी राहत ,, ने पूरे देश में बरसों तक गोधरा कांड में ट्रेन जलाने वालो को बचाने का अभियान चलाया था। जो आतंकवादी सोच के कट्टर मुसलमान गोधरा कांड में ट्रेन जलाने के दोषी पाए गए उनको बचाने के लिए राहत इंदौरी ने कई शेर लिखे और मुस्लिम सभाओं में उन्ही शेरों को पढ़ने के लिए इन्हें बुलाया जाता था।  यह वही राहत ,,, जब वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे, तब वाजपेयी जी को दो कौड़ी का आदमी कहकर अपनी छिछोरी शायरी शुरू करते थे, जिसमें ज्यादातर वाजपेयी जी के शादी ना करने पर घटिया सेक्सुअल चुटकलों को शायरी का नाम दिया जाता था!   ये मजहब से बड़ा संविधान है, कहने सै सदा बचते रहे। इस्लाम के अतिवादियों की निंदा भी अगर मगर लगाकर ही करते थे। सहिष्णुता का ठेका केवल हिन्दुओं ने ले रखा है, बाकी सब तो सेक्युलर है, जिनके लिये मुस्लिमों का हित ही सर्वोपरी है। लेकिन देश हित के फैसले हमेशा चुबते थे! #धारा370 #35A #CAA, #NRC #ट्रिपल तलाक के विरोध मे थे ,साहित्य का तो पता नहीं लेकिन राजनीतिक शायर जरूर थे!


Featured Post

आग से राख टाटा के सपने,, कहानी दर्द,, कहानी गोपाल की

वैसे तो आप अगर अपने विकराल रूप पर आ जाए तो सब कुछ बर्बाद कर देती है। लेकिन वह खुद नहीं करती किसी न किसी कारण से या किसी की लापरवाही से वह अ...