स्वच्छता में नंबर वन इंदौर की पोल एक दिन की बारिश ने खोल दी,आखिर नदी नालों की सफाई में खर्च हुए करोड़ों रुपए का क्या हुआ,
कहीं यह भ्रष्टाचार का कोई बड़ा खेल तो नहीं है, जी हां कम से कम शहर के बिगड़े हालात तो यही बता रहे हैं। नदी नालों की सफाई के नाम पर करोड़ों रुपए हर साल स्वाह होते है। फिर भी एक दिन की बारिश में शहर की हालत बद्दतर हो जाती है, इस स्थिति के कोन जवाबदार और जिम्मेदार है। कौन और कैसे देगा जनता की गाढ़ी कमाई का हिसाब,,,, तिल तिल डूबता शहर और जिम्मेदार लोगो को लगता है,की पानी में जाकर फोटो खिंचवाने से उनकी छवि में चार चांद लग जाएंगे, तो यह उनकी बहुत बड़ी गलतफहमी है।
अधिकारियों के साथ सांसद शंकर लालवानी भी शहर का जायजा लेते हुए।
जनता अब सब जानने लगी है। मूल समस्या से ध्यान हटाने वाले कोई भी हथकंडे अब चलने वाले नहीं है। बारिश जाने से समस्या नहीं जाती यह बात अब जनता अच्छे से समझने लगी हैं। जिम्मेदार लोगों को उस दिन से डरना चाहिए जब जनता रोड पर आकर अपनी गाढ़ी कमाई का हिसाब मागने लगेगी।
क्योंकि अब जनता भी एक्टिव है।
कई निचले हिस्सों में , पानी भर गया है , जलभराव से कई मार्ग अवरुद्ध हो गये है। शहर में कई जगह स्थिति भयानक बनी हुई है। निचली बस्तियां हो या पाश कालोनियां , या मध्य क्षेत्र के बाजार सभी जगह से जलभराव की खबरें आ रही।
इंदौर में इंदौर में पिछले 24 घंटे से मानसून की सक्रियता बनी हुई है । निगम एवं पुलिस प्रशासन मुस्तेदी के साथ शहर की अस्त व्यस्त हुई व्यवस्थाओं को पुनः व्यवस्थित करने में जुट तो गया है, जगह जगह नाव चल रही है! लेकिन यह सब कार्य अस्थाई है।
मूल समस्या इसके बाद भी बनी रहेगी।
हम शासन प्रशासन से माँग करते हैं। कि डूब क्षेत्र में आने वाले निचले इलाक़ों में जहां अभी भी सहायता की जरूरत है, वहा तत्काल राहत व बचाव के कार्य शुरू करवाये जावे वहाँ रहने वालों को सुरक्षित स्थानो पर पहुँचाया जाये। बचाव व राहत के कार्य पूरी मुस्तैदी से करवाए जाएं। ख़तरे वाले स्थलों पर जाने पर रोक लगायी जावे , वहाँ सुरक्षा के इंतज़ाम किये जावे।
स्वच्छता में नंबर वन शहर कहीं भ्रष्टाचार में नंबर वन ना हो जनता में इस बढ़ते अविश्वास को देखते हुए नदी नलो की सफाई पर एक समीक्षा समिति बनाई जाना चाहिए। जो नदी नालो की सफाई पर हुए खर्चों की समीक्षा करें। ताकि जनता ने जो अपनी गाढ़ी कमाई से राजस्व जमा किया। उसकी पाई पाई का हिसाब उसे मिल सके । क्योंकि अब स्मार्ट सिटी के कच्चे-पक्के आधे अधूरे कार्यों को देख कर निगम के कार्यों पर अविश्वास बढ़ता जा रहा है, और विश्वास बहाली की जिम्मेदारी भी जवाबदारो की ही है।...शौर्य ध्वज...✍🏻